भारत के रहस्यमयी अघोरी साधना स्थल | शव साधना के प्रमुख स्थान और खतरे | Top Aghori Sadhana Places in India | Secret Ritual Sites & Dangers - Guide

 

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अघोरी और अघोर साधना क्या है? | Aghori Aur Aghor Sadhna

अघोरी साधु वो होते हैं जो भगवान शिव के अघोर स्वरूप की आराधना करते हैं। "अघोर" शब्द का अर्थ होता है – जिसमें कोई भय, घृणा या भेदभाव न हो। अघोरी जीवन और मृत्यु दोनों को एक समान मानते हैं और समाज की पारंपरिक सीमाओं से परे साधना करते हैं।

अघोर साधना एक रहस्यमयी और शक्तिशाली साधना प्रणाली है, जिसमें श्मशान, तंत्र-मंत्र, और शव साधना जैसे गहन अभ्यास शामिल होते हैं। अघोरी साधक अक्सर श्मशान घाट पर ध्यान लगाते हैं, राख और खोपड़ी (कपाल) का प्रयोग करते हैं, जिससे वे मृत्यु के भय को जीतकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

इस साधना का मुख्य उद्देश्य है – मोक्ष, आत्मबोध और शिव से एकत्व की प्राप्ति। अघोरी मानते हैं कि सृष्टि का हर तत्व शिवमय है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ।

हालांकि अघोरी साधना अत्यंत गूढ़ और जोखिम भरी होती है, इसलिए इसे बिना योग्य गुरु और मार्गदर्शन के करना खतरनाक हो सकता है।


अघोरी साधु के जीवन का उद्देश्य | Purpose of Aghori's Life in Hindi

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अघोरी साधु का जीवन किसी भौतिक सुख-सुविधा के लिए नहीं होता, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य होता है – मोक्ष (Liberation), आत्मज्ञान (Self-Realization) और शिव से एकत्व (Union with Shiva)। वे मानते हैं कि मृत्यु ही सत्य है और जीवन का अंतिम सत्य उसी के पार छुपा है।

अघोरी समाजिक बंधनों, डर, घृणा और मोह जैसे भावों को त्यागकर ऐसे मार्ग पर चलते हैं जहाँ सिर्फ आत्मा और परमात्मा के मिलन की साधना होती है। उनका जीवन कठोर तप, श्मशान साधना और तंत्र-मंत्र के माध्यम से भय और अज्ञान को खत्म करने का माध्यम है।

उनके लिए “अघोर” का अर्थ है — हर परिस्थिति को समभाव से स्वीकार करना। उनका उद्देश्य है माया से ऊपर उठकर, शिवत्व को प्राप्त करना।


भारत में अघोरी साधना के प्रमुख स्थान और वहाँ कैसे पहुँचे?


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1. मणिकर्णिका घाट,वाराणसी

 वाराणसी का सबसे पवित्र और प्राचीन श्मशान घाट है, जहाँ 24x7 अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चलती रहती है। ऐसा माना जाता है कि यहां मरने से मोक्ष (Moksha) की प्राप्ति होती है। इतिहास के अनुसार, यहां देवी पार्वती का कर्ण फूल गिरा था, जिससे इसका नाम "मणिकर्णिका" पड़ा। अघोरी साधु यहां श्मशान साधना करते हैं। लोग यहां अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करने आते हैं। यह घाट मृत्यु से मुक्ति और पुनर्जन्म चक्र से छुटकारा पाने का प्रमुख स्थान माना जाता है।

  • क्यों प्रसिद्ध?

    यह दुनिया का सबसे पुराना और सक्रिय श्मशान घाट है। अघोरी साधकों के लिए ये एक महत्वपूर्ण साधना स्थल है, जहाँ शव साधना की विशेष परंपराएँ रही हैं।

  • कैसे पहुँचे?

    • नजदीकी रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन (VNS)
    • एयरपोर्ट: लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट
    • ऑटो/रिक्शा से सीधे मणिकर्णिका घाट पहुँचा जा सकता है
  • क्या खतरा है वहाँ?

    • रात में घूमना सुरक्षित नहीं
    • कुछ हिस्से अति रहस्यमय हैं – मानसिक स्थिरता जरूरी है
    • बिना अनुमति और गाइड के श्मशान में प्रवेश न करें

2. कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (असम)

कामाख्या देवी मंदिर, असम के गुवाहाटी में स्थित एक प्रमुख तांत्रिक शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां देवी सती का योनिभाग गिरा था, इसलिए यह स्थान स्त्री शक्ति और प्रजनन ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यहां रोज़ सुबह माँ की विशेष पूजा, हवन, और तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं। हर साल अंबुबाची मेला में लाखों श्रद्धालु आते हैं, जब देवी को रजस्वला माना जाता है। लोग यहाँ तांत्रिक सिद्धि, संतान प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण और मोक्ष की कामना लेकर आते हैं।

  • क्यों प्रसिद्ध?

    यह तंत्र साधना और अघोरी साधकों का पवित्र स्थल है। अमावस्या और अंबुबाची मेले में यहाँ अघोरी बड़ी संख्या में साधना करते हैं।

  • कैसे पहुँचे?

    • नजदीकी रेलवे स्टेशन: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन
    • एयरपोर्ट: लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट
    • टैक्सी और लोकल बसों से मंदिर पहुँचा जा सकता है
  • क्या खतरा है वहाँ?

    • तंत्र साधकों की गोपनीयता भंग करना खतरनाक हो सकता है
    • अमावस्या की रातों में अनजान जगहों पर ना जाएं
    • तांत्रिक क्रियाओं के दौरान विघ्न डालना भारी पड़ सकता है

3. त्र्यंबकेश्वर श्मशान, नासिक (महाराष्ट्र)

त्र्यंबकेश्वर श्मशान घाट, नासिक में स्थित है और यह हिंदुओं का एक अत्यंत पवित्र मुक्ति स्थल माना जाता है। यह घाट गौतम ऋषि और गोदावरी नदी से जुड़ा है, जहाँ पिंडदान, तर्पण और अंतिम संस्कार की विशेष प्रक्रिया होती है। यहाँ रोज़ाना श्राद्ध कर्म, कर्मकांड, और नित्य पूजा होती है। लोग मानते हैं कि यहाँ पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। यह स्थान पित्र दोष निवारण के लिए भी प्रसिद्ध है और यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु मोक्ष की कामना से आते हैं।

  • क्यों प्रसिद्ध?

    यह जगह अघोरी साधना, महाकुंभ और कपाल क्रिया के लिए जानी जाती है।

  • कैसे पहुँचे?

    • नजदीकी रेलवे स्टेशन: नासिक रोड
    • एयरपोर्ट: मुंबई (लगभग 180 KM)
    • नासिक से लोकल बस या टैक्सी द्वारा त्र्यंबकेश्वर पहुँचा जा सकता है
  • क्या खतरा है वहाँ?

    • श्मशान में बिना अनुमति जाना जोखिम भरा हो सकता है
    • साधकों को परेशान करना या फोटो लेना भारी पड़ सकता है
    • तांत्रिक ऊर्जा का प्रभाव मानसिक रूप से परेशान कर सकता है

4. गिरनार पर्वत, जूनागढ़ (गुजरात)

गिरनार पर्वत, गुजरात के जूनागढ़ में स्थित एक प्राचीन हिंदू और जैन तीर्थ स्थल है। यह पर्वत दत्तात्रेय भगवान, अंबा माता और नेमिनाथ तीर्थंकर से जुड़ा है। यहां रोज़ाना श्रद्धालु 10,000 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़कर दर्शन, ध्यान और तपस्या करते हैं। गिरनार की चढ़ाई को आत्मशुद्धि का मार्ग माना जाता है। इतिहास में यह पर्वत अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। लोग यहाँ मनोकामना पूर्ति, पाप मोचन और मोक्ष की कामना से आते हैं। हर साल गिरनार यात्रा मेला लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

  • क्यों प्रसिद्ध?

    यहाँ कई अघोरी और अवधूत वर्षों तक तप में लीन रहे हैं। गिरनार पर्वत को तांत्रिक ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है।

  • कैसे पहुँचे?

    • नजदीकी रेलवे स्टेशन: जूनागढ़
    • एयरपोर्ट: राजकोट (लगभग 100 KM)
    • जूनागढ़ से टैक्सी या बस से गिरनार पहुँचा जा सकता है
  • क्या खतरा है वहाँ?

    • जंगल और ऊँचाई के कारण ट्रैकिंग चुनौतीपूर्ण हो सकती है
    • रात में साधना स्थलों के आसपास जाना मना है
    • कई स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क नहीं आता

5. हिंगलाज गुफा, पाकिस्तान (बलूचिस्तान में – अब पहुँचना संभव नहीं)

हिंगलाज माता गुफा, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित एक प्राचीन शक्तिपीठ है, जहाँ देवी सती का मस्तक गिरा था। यह स्थल दुर्गम पहाड़ियों और रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए कठिन यात्रा करनी पड़ती है। रोज़ाना श्रद्धालु गुफा में धूप, दीप और लाल चुनरी चढ़ाकर पूजा करते हैं। हिंगलाज यात्रा (Hinglaj Yatra) साल में एक बार आयोजित होती है, जिसमें भारत और पाकिस्तान से हज़ारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। लोग यहाँ मनोकामना पूर्ति, पाप नाश और शक्ति प्राप्ति के लिए आते हैं।

  • ऐतिहासिक रूप से यह अघोरी साधकों का शक्तिपीठ रहा है, परंतु वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान में होने की वजह से पहुँच से बाहर है। india4utour.in इन जगहों पर जाने की अनुमति नहीं देता है तथा इसके लिए दर्शक खुद जिम्मेदार होंगे

अघोरी साधना स्थलों पर जाने से पहले क्या सावधानी रखें?

  • बिना अनुमति किसी साधना स्थल या श्मशान में प्रवेश न करें
  • तांत्रिक क्रियाओं का मजाक ना उड़ाएँ
  • अघोरी साधकों से बिना पूछे बातचीत ना करें
  • सुरक्षा के लिए हमेशा किसी लोकल गाइड या जानकार के साथ जाएं
  • मानसिक रूप से कमजोर या डरपोक लोग ऐसे स्थानों से दूर ही रहें

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